जी हैं – लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से आँख का ऑपरेशन में अब मौसम का कोई अंतर नहीं | आँखों के इलाज से जुड़े कई अंधविश्वास हमारे सरगुजा एवं छत्तीसगढ़ में अभी भी कायम है। इन कुरीतियों के कारण लोग अपनी आँखों की समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं एवं उन्हें बढ़ा देते हैं जिसके कारण उसका इलाज और मुश्किल हो जाता है। इस अंधविश्वास में सर्वप्रथम है कि आँखों का इलाज या ऑपरेशन गर्मी के मौसम में नहीं किया जा सकता है। यह एक गलत धारणा है जो कि सभी लोगों के मन में अभी भी है। टेक्नोलॉजी में निरंतर सुधार के साथ अब गर्मी, सर्दी या फिर वर्षा ऋतु में भी आंखों का ऑपरेशन पूरी सफलता के साथ किया जा सकता है।
मध्य भारत में यह लोगों का मानना है कि अगर बच्चों की आँखों में तिरछापन होता है या फिर आँखें घूमती रहती हैं तो इसे कुदरत की देन माना जाता है और ऐसे बच्चों को किस्मत का धनी माना जाता है। पर यह आँखों की एक गंभीर समस्या हो सकती है जिसका समय पर इलाज कराना आवश्यक होता है एवं नहीं इलाज कराने से आँखों की रोशनी बचपन में ही कम हो जाती है।
लोगों में यह भी अंधविश्वास है की आँखों के ऑपरेशन के बाद खट्टा खाने से, दूध पीने से या फिर केला खाने से आँख खराब हो सकती है। इस अंधविश्वास का कोई वैज्ञानिक सिद्धांत नहीं है एवं खाने पीने से किसी भी प्रकार की आँखों में ऑपरेशन के पश्चात समस्या नहीं होती है। खाने पीने की किसी भी वस्तु के बारे में आपको मन में शंका है तो आप यह अपने नेत्र चिकित्सक से उसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।
मेरा यह आप सभी से आग्रह है कि आँखों में होने वाली किसी भी परेशानी को नजरअंदाज ना करें एवं सही समय पर इलाज कराएं। मौसम का या फिर खाने-पीने के पदार्थों का आँखों के इलाज से कोई संबंध नहीं होता है। प्राचीन काल से चले आ रहे इन सभी अंधविश्वासों को अब मिटाने का समय आ चुका है।
गरमी या बरसात में संभव है आंखों का सफल इलाज – अंधविश्वासों को मिटाने का समय अब आ चुका है
डॉ अक्षय गोयल, नेत्र चिकित्सक, संकल्प आई हॉस्पिटल, अंबिकापुर द्वारा जनहित में जारी | उनीद हैं आप सं गये होंगे के लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से आँख का ऑपरेशन में अब मौसम का कोई अंतर नहीं |